पुरसोज़ आवाज और दिलकश तरन्नुम — दीक्षित दनकौरी

मैं सर्वश्रेष्ठ ,मैं उस्ताद, मैं नम्बर वन वाले इस दौर में राज गोपाल सिंह जैसे सहज, विनम्र और सीधे सादे कवि/शायर कम-कम ही मिलते है। अपने गीतों,ग़ज़लों और दोहों में पारिवारिक स्पंदनों, सामाजिक सरोकारों औरप्रकृति की भिन्न भिन्न छटाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने वाले भाई राजगोपाल सिंह अपनी पुरसोज़ आवाज और दिलकश तरन्नुम … Continue reading पुरसोज़ आवाज और दिलकश तरन्नुम — दीक्षित दनकौरी